*पूर्वांचल का पवित्र छठ पर्व की पहाड़ों पर भी बहार* प्राचीन जल सरोवरों और नदियों में खड़े होकर छठी मय्या की पूजा अर्चना की गई

*पूर्वांचल का पवित्र छठ पर्व की पहाड़ों पर भी बहार* प्राचीन जल सरोवरों और नदियों में खड़े होकर छठी मय्या की पूजा अर्चना की गई

*पूर्वांचल का पवित्र छठ पर्व की पहाड़ों पर भी बहार*
प्राचीन जल सरोवरों और नदियों में खड़े होकर छठी मय्या की पूजा अर्चना की गई

गोपेश्वर ।
पूर्वांचल का पवित्र छठ पर्व पहाड़ों पर भी मनाया गया । कठिन साधना और पवित्रता का छठ पर्व सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया। लोगों ने तीन दिनों तक विधि विधान के साथ पूजा अचर्ना की।

शनिवार से शुरू हुआ छठ पर्व सोमवार को संपन्न हुआ। शनिवार रात को कार्तिक भगवान की पूजा की गई। रविवार को नदी व तालाबों में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया जबकि सोमवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ संपन्न हो गया। गोपेश्वर पवित्र और प्राचीन बैतरणी कुंड में अनीता देवी, वर्षा, चंदा देवी, सोनी देवी, सुमन, ममता देवी, पूनम देवी,सरिता ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। वैतरणी कुंड में घुटनों ठंडे जल में खड़े रह कर सुहागिनों ने छठी मैय्या की पूजा अर्चना की । पुरुष अपने घरों से नंगे पांव छठी मैया की पूजा के लिए फलों और पूजा की सामग्री की टोकरियां लेकर बैतरणी कुंड सरोवर पहुंचे । बैतरणी कुंड में उत्साह और उमंग का वातावरण रहा ।सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटी रही।

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