गोपनाथ रामकथा में मोरारी बापू का संदेश – सनातन धर्म और मंदिर संस्कृति का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी
गोपनाथ : प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और रामकथा वाचक मोरारी बापू ने गोपनाथ में चल रही रामकथा के दौरान भावपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि “सनातन धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि हमारी विरासत और पहचान है, और इसका संरक्षण करना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
बापू ने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे मंदिरों और परंपराओं के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान शिव, माता भवानी, भगवान हनुमान और भगवान गणेश परम दिव्यता के सर्वोच्च स्वरूप हैं। “भक्ति का वास्तविक अर्थ आध्यात्मिक सिद्धांतों को समझना है, केवल रीति-रिवाजों का पालन करना नहीं,” उन्होंने कहा। चाणक्य का उदाहरण देते हुए बापू ने कहा कि आज समाज में स्वर्ग और नरक के लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि लोग अपने गांवों में राम, कृष्ण, शिव, भवानी और अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों का संरक्षण करें, उनका जीर्णोद्धार कर उन्हें जीवंत बनाए रखें। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि श्री चित्रकूटधाम तलगाजरडा द्वारा ऐसे प्रयासों के लिए ₹1.25 लाख की सहायता पहले ही घोषित की जा चुकी है।
भगवान राम और भगवान कृष्ण के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बापू ने कहा, “राम ब्रह्म के प्रतीक हैं और कृष्ण वह दिव्य सिद्धांत हैं जो हमें धर्म के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।” अयोध्या में 500 वर्षों बाद श्रीरामलल्ला की प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक अवसर को याद करते हुए मोरारी बापू ने कहा, “मैं स्वयं उस अवसर पर उपस्थित था। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सहित अनेक गणमान्य नेता वहां उपस्थित थे, परंतु कुछ अतिथि अन्य प्रतिबद्धताओं का हवाला देकर दर्शन हेतु नहीं गए। मैं यह प्रश्न उठाता हूँ कि क्या उन्होंने कभी राममंदिर, कृष्णमंदिर या माता भवानी के मंदिर में दर्शन किए हैं।”उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आलोचना नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और हमारी पवित्र परंपराओं के संरक्षण हेतु प्रेरणा का आह्वान है।
बापू ने कहा, “प्रत्येक भक्त का यह कर्तव्य है कि वह सनातन धर्म का पालन करे। हम अपने संस्कारों से सशक्त हुए हैं। हमें किसी को नुकसान नहीं पहुंचाना, लेकिन सनातन धर्म की रक्षा करना हमारा धर्म और कर्तव्य दोनों है।”उन्होंने आगे कहा, “आज के समय में यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपनी आध्यात्मिक विरासत का सम्मान करें और उसे सामूहिक रूप से सुरक्षित रखें।” गोपनाथ रामकथा में देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु सम्मिलित हो रहे हैं। यह कथा मोरारी बापू की छह दशकों की आध्यात्मिक यात्रा की 965वीं कथा है।
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