आरोपः विभाग की लापरवाही के कारण आवारा घूम रहे है दुर्लभ प्रजाति के जानवर याक
जोशीमठ (चमोली)। जिले के सीमावर्ती क्षेत्र नीती घाटी के सुराईथोटा से कुछ दूरी पर आजकल दुर्लभ प्रजाति का जानवर याक लावारिश हाल में घुमते हुए देखे जा रहे है। बताया जा रहा है कि इन दुर्लभ प्रजाति के याक की देखरेख का जिम्मा पशु पालन विभाग को दिया गया है। क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि काफी दिनों से लावारिश हाल में घूम रहे इन याकों की खोजबीन करने के लिए कोई भी विभागीय कर्मचारी यहां नहीं पहुंचा है।
सीमांत घाटी कागा गरपका के प्रधान पुष्कर सिंह राणा ने बताया कि बीते दिन वे अपने वाहन से मलारी की ओर जा रहे थे कि उन्हें सुराईथोटा से पांच किलोमीटर आगे गाडीव्रिज के पास सड़क के किनारे तीन दुर्लभ प्रजाति के जानवर दिखाई दिये। ज बवे लो उनके निकट पहुंचे तो वो याक थे। जैसे ही उन्होंने याकों की नजर उन पर पड़ी तो वे डर भागने लगे। जिस पर उन्होंने अपने वाहन को रोका और याकों को देखते रहे जिसके बाद याक पहाड़ी से नीचे उतर कर कहीं चले गये।
उन्होंने बताया कि उन्होंने इसके संबंध में स्थानीय लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि ये तीनों याक कई दिनों से जुम्मा और सुराईथोटा के बीच लावारिस घूम रहे है। इनकी देख रेख करने वाला कोई नही है। साथ ही उनका यह भी कहना था कि ये दुर्लभ जाति के जानवर है इनकी संख्या ज्यादा नही है इनकी संख्या अब लगभग 15 से 20 के आस पास है। और इनकी देखरेख की जिम्मेदारी सरकार ने पशुपालन विभाग को दी हुई है और विभाग ने दो-तीन कर्मचारी इनकी देखरेख के लिए नियुक्त किया हुआ है, लेकिन कर्मचारी कहां है, कौन है किसी को पता नही है। जिस कारण से ये सड़क पर लावारिस घूम रहे है। जब अन्य याकों के बारे में स्थानीय लोगों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि वैसे तो इनको इस समय द्रोणागिरी गांव के बुग्यालों मे होना चाहिए था। शायद ये तीन याक अन्य याको से बिछुड़ गए होंगे और ये बुग्याल से उतर कर नीचे सड़क की तरफ आ गए और कुछ दिनों से यही लावारिस घूम रहे है। लोगो का कहना ये भी था कि इन दुर्लभ प्रजाति के जानवरों के लिए सरकार की ओर से विभाग के लिए अलग से बजट का प्रावधान किया गया है ताकि इनकी देख रेख ठीक प्रकार से हो सके। आमतौर पर जब द्रोणागिरी के बुग्यालों मे ठंड ज्यादा हो जाता है या बर्फवारी शुरू हो जाती है तो विभाग की ओर से इनको नीती घाटी के नीचले क्षेत्रो जैसे सुकी, तोलमा और लाता के जंगलों में शिफ्ट किया जाता है और जब इन क्षेत्रों में गर्मी शुरू होती तो इनको विभाग की ओर से उच्च हिमालय के द्रोणागिरी बुग्यालों मे भेजा जाता है। कुल मिलाकर शीतकालीन प्रवास के दौरान जब द्रोणागिरी गांव के लोग माइग्रेट करते है तो इन याको को भी विभाग की ओर से नीचले क्षेत्र के जंगलों मे शिफ्ट किया जाता और जब गांव वाले ग्रीष्मकालीन प्रवास मे द्रोणागिरी गांव पहुंचते है तो विभाग इनको भी द्रोणागिरी के बुग्यालों मे शिफ्ट करता है। प्रधान ने आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग की घोर लापरवाही देखने को मिल रहा है। जिसका नतीजा ये है कि इन दुर्लभ प्रजाति के जानवरों को लावारिस छोड़ रखा है। उन्होंने शासन प्रशासन से मांग की है कि यथाशीघ्र इन दुर्लभ प्रजाति के जानवरों का संज्ञान लिया जाए और इनकों अन्य याकों के साथ पहुंचाया अन्यथा क्षेत्रवासियों के साथ उन्हें अग्रीम कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
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