आस्था देवी मां लगाया तुरई (गोदडी़ ) की सब्जी और घर के चावलों के भात का भोग कभी गहत की दाल और भात तो कभी सगोती की सब्जी और भात का लगता है भोग
आस्था
देवी मां लगाया तुरई (गोदडी़ ) की सब्जी और घर के चावलों के भात का भोग
कभी गहत की दाल और भात तो कभी सगोती की सब्जी और भात का लगता है भोग
गोपेश्वर ।
उत्तराखंड के पहाड के गांवों में धार्मिक आस्था और का परम्पराओं अद्भुत और पवित्र पर्व होते हैं। जिनका लाखों वर्षों से बड़ी निष्ठा और श्रद्धा से पालन किया जाता है। इन्हीं में एक पवित्र परम्परा गोपेश्वर के पवित्र चंडिका मंदिर में मां चंडिका भगवती मंदिर में निभाई जाती है। भाद्रपद और अगहन की पूर्णिमा के दिन यहां माता चंडिका भवानी को तुरई ( गोदडी ) की सब्जी और घर के चावलों का भोग लगाया जाता है
मां भगवती को इस श्रद्धा के भोग के बाद प्रसाद रूप में सभी लोग इसे गृहण करते हैं ।
शुक्रवार को गोपेश्वर के प्राचीन और सिद्ध चंडिका देवी मंदिर में मां चंडिका भगवती को गोदड़ी की सब्जी और भात का भोग श्रद्धा पूर्वक लगाया गया । चंडिका देवी मंदिर के पुजारी पंडित जगदम्बा प्रसाद भट्ट और गोपाल दत्त भट्ट ने बताया इस पवित्र अनुष्ठान को पर्व के तौर पर लिया जाता है। और परम्परा तथा मान्यता के अनुसार इस अवसर पर मां भगवती को गोदड़ी की सब्जी और भात का भोग लगाया गया । विधिवत मां का अर्चन वंदन कर पूरी श्रद्धा से यह अनुष्ठान सम्पादित किया गया ।
मां चंडिका के इस मंदिर में समय और उपज के अनुसार अलग-अलग समय में बडी श्रद्धा से मां चंडिका को अलग प्रकार के भोग लगाये जाते हैं। जाड़ों में जब गहत की फसल होती है। तो मां भगवती को गहत की दाल और भात का भोग लगाया जाता है । और जब सगोती की ( चौलाई की एक प्रजाति) की फसल होती है तो मां को सगोती की सब्जी और भात का भोग लगाया जाता है । साथ ही हर पर्व पर लगने वाले भोग में मां को खीर का भोग लगाया जाता है । पुजारी जगदम्बा प्रसाद भट्ट व गोपाल दत्त भट्ट ने बताया यह परम्परा अनादि काल से अनवरत जारी है ।
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