श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश में वैज्ञानिक शोध पत्र लेखन विषय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश में वैज्ञानिक शोध पत्र लेखन विषय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

ऋषिकेश : उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकास्ट) के तत्वावधान में आज 14 अगस्त 2025 को पंडित ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर ऋषिकेश में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ व वनस्पति विज्ञान के द्वारा “वैज्ञानिक शोध पत्र लेखन” विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक पत्र लेखन विषय पर शोधकर्ताओं व छात्रों की रुचि को बढ़ावा देकर उनके वैज्ञानिक विचारों को प्रोत्साहित करना था।

सर्वप्रथम मुख्य अतिथि परिसर निदेशक प्रो. एम एस रावत ने सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुए कार्यशाला के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किया, उन्होंने छात्रों से तन्मयता के साथ इस विषय पर ज्ञानार्जन के लिए प्रेरित किया । इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम पुष्प गुच्छ भेंट कर सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। सरस्वती वंदना के पश्चात कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

सर्वप्रथम IQAC के निदेशक प्रो गुलशन कुमार ढींगरा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम की रूपरेखा समझकर अतिथियों के अनुभव छात्रों के समक्ष व्याख्यान प्रस्तुत किया। उसके पश्चात वनस्पति विज्ञान विभाग के विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो वी डी पांडे ने इस विषय पर अपने अनुभव व कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य पर अपने सुझाव छात्रों के साथ साझा किया। विज्ञान संकाय के डीन प्रो शांति प्रसाद सती ने सभी वक्ताओं का परिसर की ओर से स्वागत किया एवं कहा कि आईआईटी रुड़की व विश्वविद्यालय के मध्य समझौते से हमारे परिसर के छात्रों को इस प्रकार के शोधों में लाभ मिलेगा और यह निरन्तर जारी रहेगा।

उसके बाद प्रथम अतिथि वक्ता इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी आईआईटी, रुड़की के प्रोफेसर डॉ विनोय के. पात्रा ने सर्वप्रथम विज्ञान के प्रसार की बात की उन्होंने एक-राय डिफ्रेक्शन के संदर्भ में भौतिक से अपने व्यक्तित्व की शुरुआत की । डॉ पात्रा ने लिटिल बैंक थ्योरी के विषय में भी बात की उन्होंने बताया सभी साइंस एक तरह के होते हैं और सभी एक दूसरे से इंटर डिसीप्लिनरी ग्रुप में जुड़े हुए हैं, उन्होंने वैज्ञानिक पत्र लेखन के संदर्भ में बताया कि अनेको शोध पत्र, रिव्यू पेपर पढ़ कर समझा जा सकता है कि एक अच्छा शोध पत्र कैसा लिखा जाए, शोध पत्र लेखन के लिए उन्होंने बताया कि अपने रुचि और आवश्यकता के अनुसार विषय का चयन करें, शोध पत्र के लिए एक विस्तृत योजना बनाएं और उसे चरणबद्ध तरीके से पूरा करें, उस विषय से संबंधित पूर्व में किए गए शोधों की समीक्षा करें और उनके निष्कर्षों को अपने शोध में शामिल करें। स्पष्ट और संक्षिप्त लेखन शैली का पालन करें और व्याकरण और वर्तनी की त्रुटियों से बचें। अंत में उन्होंने गैलीलियो की कहानी के संदर्भ में एक रोचक बात प्रस्तुत की।

दूसरे अतिथि वक्ता के रूप में बीरबल साहनी पेलिओसाइंस संस्थान लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. सुरेश कुमार पिल्लई ने अपने संस्थान की जानकारी सर्वप्रथम छात्रों के समक्ष साझा की एवं जीवाश्म विज्ञान के संदर्भ में अपना व्याख्यान सर्वप्रथम प्रस्तुत किया एवं इसके बाद उन्होंने शोध पत्र लेखन संदर्भ में कहा कि शोध पत्र में शीषर्क, सारांश, प्रस्तावना, साहित्य समीक्षा, अनुसंधान पद्धति, परिणाम और चर्चा, निष्कर्ष जैसे बिंदुओं को ध्यान में रख कर कार्य करें, इसमें अनुसंधान के मुख्य निष्कर्षों को सारांशित किया जाता है। उन्होंने शोध पत्र लेखन के लिए अन्य सुझाव भी छात्रों दिए ।

कार्यक्रम के अंत में IQAC के उपनिदेशक डॉ राकेश कुमार जोशी ने सभी वक्ताओं एवं उपस्थित छात्रों एवं सभी फैकल्टी मेंबर्स का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस कार्यशाला में डॉ एन के शर्मा, डॉ शालिनी रावत, डॉ एस के नौटियाल, डॉ एस के कुड़ियाल, शालिनी कोटियाल, अर्जुन पालीवाल, डॉ बिंदु, डॉ दिनेश सिंह आदि उपस्थित रहे।

Previous post

सीनियर ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती के नेतृत्व में औषधि विभाग की छापेमारी, रूड़की में पकड़ा गया अवैध दवाओं का भंडार, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश सरकार की मोहर लगी सरकारी दवाएँ बरामद

Next post

वीर गाथाओं से जगमगाने लगे देहरादून के चौराहे : विकास और विरासत का अद्भुत संगम! धरातल पर उतरे जिला प्रशासन के प्रोजेक्ट; कुठालगेट और साईं मंदिर जंक्शन बने ‘पहाड़ी संस्कृति’ के दर्पण

Post Comment

You May Have Missed