हिन्दी काव्य उन्मुक्त भाव काव्य संग्रह का विमोचन

हिन्दी काव्य उन्मुक्त भाव काव्य संग्रह का विमोचन

गोपेश्वर (चमोली)। जिला पंचायत सभागार में आयोजित समारोह में  साहित्यकार मनोज तिवारी ‘निशांत’ के उन्मुक्त भाव हिंदी काव्य संग्रह का विमोचन हुआ। इस अवसर पर हिन्दी काव्य संग्रह को बढ़ावा देने का संकल्प लिया गया।

पूर्व सैनिक लीग के जिलाध्यक्ष कर्नल डीएस बर्त्वाल ने बतौर मुख्य अतिथि उन्मुक्त भाव हिन्दी काव्य संग्रह का विमोचन किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हिन्दी काव्य संग्रह को बढ़ावा देकर ही साहित्य सृजन को बल मिलेगा। उनका कहना था कि हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के काव्य संग्रह भावी पीढ़ी के लिए मददगार साबित होंगे। उन्होंने साहित्य सृजन में मनोज तिवारी ‘निशांत’ के प्रयासों की सराहना की और हिन्दी काव्य संग्रह के रचयिताओं को इसी तरह काव्य सृजन करने की अपील की। पीजी कालेज  के प्राध्यापक डा. डीएस नेगी के संचालन हुए कार्यक्रम में प्रवक्ता अमित जायसवाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी धर्म सिंह रावत, शशि देवली, सुशीला सेमवाल, चंद्रकला बिष्ट, कार्यक्रम अधिकारी हिमांशु बडोला, ओम प्रकाश भट्ट, मंगला कोठियाल, विनय सेमवाल, सतीश डिमरी, केके डीमरी, आत्म प्रकाश डिमरी, सीमा तिवारी समेंत तमाम साहित्यकार मौजूद रहे।

उन्मुक्त भाव पुस्तक में 59 कविताओं का प्रकाशन किया गया है। इसमें कवि की रचनाओं में हिमालय के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की गई है। हिमालय भाल है, सरिता का आधार है। सुंदरता का मान है, भारत का अभियान है।। हिम तुंग के शिखरों-सा, मां भारती का भाल है। आंसमा-सा विशाल है, उन्नत बेमिशाल है।। को भी शानदार रूप से प्रस्तुत किया गया है। समाज, परिवार, व्यक्ति और राष्ट्र के प्रति कविताओं के माध्यम से शानदार चित्रण किया गया है। रचनाएं केवल भावनाओं का प्रसंग नहीं अपितु इसमें गहन चिंतन भी परिलक्षित किया गया है। कविताओं में समाज के सच को उजागर किया गया है। साहित्य के जरिए समाज को  जागृत कर सकारात्म दिशा देने तथा मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। भगवान गोपीनाथ की स्तुति को काव्य पाठ में शामिल कर आध्यात्मिकता और स्थानीय संस्कृति को परिलक्षित करने की आध्यात्मिकता को बढ़ावा दिया गया है। उन्मुक्त भाव पुस्तक में मानवीय रिश्तों और भावनाओं का सुंदर चित्रण किया गया है। पारिवारिक मूल्यों और खोए हुए समय के प्रति संवेदनशीलता भी परिलक्षित की गई है। महाकाली जैसे भक्ति से परिपूर्ण काव्य आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने की पहल की गई है। कवि ने आधुनिकता और विज्ञान को भी कविताओं में स्थान दिया है। हिन्दी जैसी रचना उनकी मातृभाषा के प्रति प्रेम और गर्व प्रतीक कही जा सकती है। हिमालयी की ऊंचाईयों से लेकर गांव की माटी तक का उद्धरण पुस्तक देखने को मिला है।

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