सीमावर्ती गांवों में आपराधिक घटनाओं से ग्रामीण परेशान, समाधान की प्रशासन से मांग

सीमावर्ती गांवों में आपराधिक घटनाओं से ग्रामीण परेशान, समाधान की प्रशासन से मांग

गोपेश्वर (चमोली)। जिले के सीमावर्ती गांव कागा, गरपक और द्रोणागिरी में हो रही चोरी के साथ ही जंगली जानवरों के अवैध शिकार को लेकर ग्रामीण काफी परेशान है। समस्या के समाधान की मांग को लेकर प्रशासन से मांग की है।

कागा गरपक के प्रधान पुष्कर सिंह राणा ने बताया कि रूइंग गांव से उन्हें सूचना मिली है कि वहां स्थित एएनएम सेंटर का ताला तोड़ा गया है। वहीं द्रोणागिरी से आगे नंदीकुंड के जंगलों में शिकारियों की ओर से बाइंडिंग तार से फांस लगाकर जंगली जानवरों के अवैध शिकार का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन तारों में उलझ कर क्षेत्र के भेड-बकरी पालकों की बकरियों की फंस कर मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि भेड पालकों से उन्हें यह भी जानकारी मिली है कि जंगल में कुछ लोगों की ओर से टेंट भी लगाया गया है।

उन्होंने कहा कि यह घटना क्षेत्र में पहली बार नहीं हो रही है इससे पहले शीत कालीन प्रवास के दौरान जब ग्रामीण चमोली जिले के निचले भागो मे माइग्रेट गांवो मे रह रहे थे तब भी कागा गांव मे लगभग सभी परिवारों के घरांे के ताले टूटे हुए थे और कीमती सामान गायब था, पिछले वर्ष गरपक गांव के ग्रामीणों के घरों का ताले तोड़े गए और लोगों के कीमती सामान ले गए। जिसके विरुद्ध राजस्व चैकी जोशीमठ मे ग्रामीणों की ओर से रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई, लेकिन अभी तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।

प्रधान राणा ने कहा कि जहां तक जंगलों मे शिकारियों की ओर से फांसी लगाने की बात है। ये घटना भी प्रत्येक वर्ष होती है। वर्ष 2020 रुइंग गावं मे लगभग छः साथ सन्दिग्ध नेपाली मूल के व्यक्तियो को ग्रामीणों ने पकड़ा और फारेस्ट के कर्मचारियों के सुपुर्द किया, बाद मे जब उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म कबूला और बताया कि वे लोग जंगलों मे फांसी लगा के जंगली जानवरों का शिकार करते जिसमे मुख्य रूप से कस्तूरी मृग है। उनको  कागा गरपक के जंगलों मे शिनाख्त के लिए ले गए तो लगभग चार से पांच सौ फंदे निकाले गये।  उन्होंने कहा कि उनकी शिकायत के बाद भी न तो वन विभाग की ओर से कार्रवाई की जा रही है और न ही राजस्व विभाग की ओर से ऐसे में ग्रामीणों में खासा रोष व्याप्त है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो ग्रामीणों को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। 

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