*22 साल की भागीरथी फ्लाइंग गर्ल के नाम से है। प्रसिद्ध* *जवाहरलाल नेहरू माउंटिनेटिंग इंस्टिट्यूट – विंटर स्कूल और कश्मीर टूरिज्म की ओर से मैराथन का आयोजन किया गया था*
*22 साल की भागीरथी फ्लाइंग गर्ल के नाम से है। प्रसिद्ध*
*जवाहरलाल नेहरू माउंटिनेटिंग इंस्टिट्यूट – विंटर स्कूल और कश्मीर टूरिज्म की ओर से मैराथन का आयोजन किया गया था*
गोपेश्वर (चमोली)।
सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाक के अतिदूरस्थ गांव वाण की 22 वर्षीय भागीरथी बिष्ट ने जवाहरलाल नेहरू माउंटिनेटिंग इंस्टिट्यूट – विंटर स्कूल और कश्मीर टूरिज्म की ओर से आयोजित 11 किमी की लिडरवेट ट्रेल मैराथन में प्रथम स्थान प्राप्त किया। सिरमौरी चीता और अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुनील शर्मा ने बताया की भागीरथी बिष्ट ने सात से नौ हजार फीट की ऊंचाई पर 11 किमी की लिडरवेट ट्रेल दौड एक घंटा 12 मिनट में पूरा किया। इस अवसर पर भागीरथी को नगद धनराशि, प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया गया। गौरतलब है कि फ्लाइंग गर्ल भागीरथी अपनी रफ्तार से दुनिया के फलक पर अपनी चमक बिखेरेने के लिए कडी मेहनत कर रही है। पहाड़ की इस होनहार और प्रतिभाशाली बेटी के सपने पहाड़ से भी ऊंचे हैं।
संघर्ष और अभावों में बीता जीवन
हिमालय के अंतिम वाण गांव की रहने वाली भागीरथी को
संघर्ष और आभाव विरासत में मिला। महज तीन वर्ष की
छोटी आयु में भागीरथी के पिताजी की असमय मृत्यु हो
गयी थी। जिस कारण भागीरथी के पूरे परिवार पर दुःखों
का पहाड़ टूट पड़ा था। जैसे तैसे परिस्थियों से लडकर
होश संभाला और कभी भी हार नहीं मानी। भागीरथी
पढ़ाई के साथ-साथ घर का सारा काम खुद करती थी यहां
तक की अपने खेतों में हल भी खुद ही लगाया करती थी ।
मन में बस एक ही सपना है की एक दिन ओलम्पिक में
देश के लिए पदक जीतना और अपनें गांव, राज्य, देश,
कोच का नाम रोशन करना है।
सर्वप्रथम स्कूल नें पहचानी थी प्रतिभा
फ्लाइंग गर्ल भागीरथी की प्रतिभा को सर्वप्रथम राजकीय इंटर कॉलेज वाण के शिक्षकों नें पहचाना। स्कूल के सभी शिक्षकों नें भागीरथी को प्रोत्साहित किया और हौंसला बढाया। स्कूल में भागीरथी हर खेल कब्बड्डी से लेकर खो खो, बॉलीबाल, एथलेटिक्स में हमेशा अब्बल आती थी । वर्तमान में भागीरथी हिमाचल में पढ़ाई कर रही है और ऐथेलेटिक्स की तैयारी भी ।
सिरमौरी चीता सुनील शर्मा नें भागीरथी की काबिलियत को पहचान उसे प्रशिक्षण देने का जिम्मा उठाया
अंतरराष्ट्रीय एथलीट और ग्रेट इंडिया रन फेम सुनील शर्मा जिन्हें सिरमौरी चीता भी कहा जाता है, जो वर्ष 2020 में उत्तराखंड में ऊंची पर्वतमाला पर प्रैक्टिस करने के उद्देश्य से वाण गांव आये थे। यहीं उनकी मुलाकात फ्लाइंग गर्ल भागीरथी से हुई। दोनों ने वाण गांव से महज 36 घंटे में सबसे कठिन रोटी रूट को बिना रूके और बिना संसाधनों के नाप कर एक रिकार्ड बनाया था। जहां लोगों की सांसे जबाब देनी लग जाती है वहां सुनील शर्मा और भागीरथी नें इतनी ऊंचाई को आसानी से पार एक अदभुत मिसाल पेश की थी। सिरमौरी चीता भागीरथी की क्षमता और प्रतिभा के कायल हो गये और अपने साथ नाहन गये ओर वहां नाहन कॉलेज में दाखिला दिलाया। जहां रहकर वो तैयारी में जुट गयी। अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स सुनील शर्मा अपने मार्गदर्शन में भागीरथी को तराशना चाहते हैं ताकि वो देश के लिए ओलम्पिक में पदक जीतने में सफल हो सके ।
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